Sunday, March 19, 2017

Adityanath may not be good for Modi

मोदी के पर कतरने के लिए चुने गए योगी आदित्यनाथ !



आदित्यनाथ का उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री चुना जाना मोदी भक्तों के लिए अच्छी खबर नहीं है। नरेंद्र मोदी के पर कतरने के लिए चुने गए योगी आदित्यनाथ ....

योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री पद के लिए कभी पहली पसंद नहीं थे। मोदी नहीं चाहते थे की योगी का नाम आगे लाया जाए लेकिन अंत में मोदी की इच्छा के विरुद्ध योगी को ही उत्तरप्रदेश का मुख्यमंत्री  बनाया गया।

मोदी के लिए बड़ा खतरा हैं योगी -


मोदी का इतिहास रहा है कि वे बिना किसी रोक-टोक के काम करना पसंद करते हैं और अपने लिए कोई प्रतिस्पर्धा नहीं चाहते। वे किसी को अपने समक्ष खड़ा नहीं होने देते और अपने निर्णयों पर किसी की भी सुनना पसंद नहीं करते। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और मोदी के रिश्ते इसका एक उदहारण है। इसी के चलते कई बार मोदी और संघ के बीच तनातनी की ख़बरें भी आई लेकिन, संघ की मजबूरी हैं मोदी क्योंकि BJP मोदी के कारण ही सत्ता में आई और  जनता मोदी के नाम पर ही वोट देती है। सत्ता में बने रहने के लिए संघ को मोदी की जरूरत है। इसी का फायदा उठाते हुए मोदी ने BJP को अपने नियंत्रण में करने में सफलता प्राप्त की।

लोग मोदी को क्यों पसंद करते हैं ?


गुजरात दंगों के बाद बनी हिंदूवादी छवि के कारण कट्टर हिन्दू मोदी को पसंद करते हैं और मानते हैं कि मोदी ही हिंदुत्व के रक्षक हैं। उदारवादी हिन्दू मोदी को उनके विकास कार्यों और मुख्यमंत्री के तौर पर उनके सफल कार्यकाल के लिए पसंद करते हैं।

मोदी ने आज खुद को उस मुकाम पर पहुंचा दिया है जहाँ उनकी टक्कर का कोई और नेता BJP में नहीं है, कोई ऐसा नेता नहीं है जिसकी इतनी मॉस अपील हो और इसके चलते BJP पर मोदी का एकछत्र राज कायम हो गया है। हालात यह हैं कि मोदी अब RSS के एजेंडे से अलग चलने की कोशिश भी करने लगे हैं और यह RSS के लिए पचा पाना मुश्किल है।

योगी आदित्यनाथ क्यों ? 


आदित्यनाथ मोदी का सबसे बड़ा विकल्प हैं। मोदी की तरह ही आदित्यनाथ परिवार से दूर हैं,अकेले हैं, सब त्याग चुके हैं, ऊर्जा से भरपूर हैं, योगी हैं, राष्टवाद और विकास की बातें करते हैं। सबसे बड़ी बात है कि आदित्यनाथ ऐसे नेता हैं जिनकी मॉस अपील मोदी के टक्कर की है और वोटरों पर उनकी पकड़ बहुत मजबूत है। वसुंधरा राजे की मॉस अपील मजबूत तो है लेकिन वे हिंदुत्व के मुद्दे पर विफल हो जाती हैं।

हिंदुत्व के रक्षक के रूप में तो आदित्यनाथ मोदी से भी आगे निकल गए हैं और वे कट्टर हिंदुओं को सबसे ज्यादा आकर्षित करने लगे हैं। वे हिन्दू साधु हैं और इसके चलते उनकी हिंदुत्व के मुद्दे पर पकड़ मोदी से कहीं ज्यादा है।

शिक्षा के मामले में भी वे मोदी पर भारी पड़ते हैं और उनका विज्ञान और गणित का बैकग्राउंड उन्हें मजबूती देता है।

योगी की बस एक यही कमी थी कि उन्हें मोदी की तरह शासन चलाने का कोई अनुभव नहीं था और वे विकास के नाम पर लोगों को आकर्षित नहीं कर सकते। लेकिन अब हालात बिल्कुल बदल जाएंगे। योगी अगर 5 साल सफल शासन चला पाये और उत्तर प्रदेश का सही विकास कर पाए तो वे एक नई मिसाल पेश करेंगे।

आदित्यनाथ मोदी के सबसे बड़े विकल्प बनकर उभरे हैं और RSS योगी का उपयोग मोदी को नियंत्रण में रखने के लिए कर सकता है। यहाँ मोदी जानते हैं कि योगी उनके लिए सबसे बड़ा खतरा हैं। मोदी जानते हैं कि कट्टरवाद किसी का सगा नहीं होता और इसके लिए शक्तिशाली छवि का बनाये रखना जरूरी है। मोदी जानते हैं कि कैसे हिंदुत्व के पुराने कट्टर चेहरे लाल कृष्ण आडवाणी को उन्होंने बिल्कुल किनारे करने में सफलता पाई थी। आज मोदी से ज्यादा कट्टर छवि आदित्यनाथ की बन चुकी है। यही कारण था कि मोदी बिलकुल भी इस पक्ष में नहीं थे की आदित्यनाथ को आगे बढ़ाया जाए।

RSS ने यूपी चुनाव से पहले भी योगी को मुख्यमंत्री के तौर पर पेश करने की कोशिश की थी।  आदित्यनाथ में वे सब खूबियां हैं जो मोदी को मोदी बनाती हैं। अब अगर योगी 5 साल में यूपी को सफल शासन दे पाए तो वे मोदी के सच्चे विकल्प बन जाएंगे और फिर मोदी की पकड़ BJP पर आज जैसी नहीं रह जायेगी।

संभव है आने वाले समय में कुछ अप्रत्याशित घटनाएं देखने को मिलें। देखते हैं अब आगे क्या रंग खिलते हैं।

1 comment:

  1. मेरा भी यही मानना है कि बीजेपी में अब दो फाड़ हो जायेगा। विकास के जिस नारे का सहारा मोदी लेकर केंद्र में आये, और यूपी में सकल हुए, वह पीछे छूटता दिख रहा है। योगी को आगे कर संघ अपने एजेंडे पर काम करेगा। मोदी के द्वारा चयनित यूपी का मुख्यमंत्री संघ का कहना शत प्रतिशत नहीं मानता। हिन्दू युवा वाहिनी अब मनमानी करने के लिए खुला सांड है। मैं सोशल मीडिया पर कोर-बीजेपी समर्थकों के निराशा भरे पोस्ट्स पढ़ रहा हूँ। लेकिन चूँकि केंद्र समेत तमाम बड़े राज्यों में इस समय बीजेपी है, आने एजेंडे पर काम करने के लिए इससे अच्छा मौका संघ के पास शायद फिर कभी न आये, इसलिए योगी को सामने लाया गया है। और एक बात, योगी और संघ के निशाने पर मुसलमान नहीं हैं, वह तो महज कवरिंग पेज हैं, असली टारगेट अनुसूचित जातियां हैं।

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